महानवमी पर्व : मां मातेश्वरी आज सिद्धिदात्री रूप में पूजित हैं / दशहरा की अग्रिम मंगलकामनाएं / धर्म, साहित्य और संस्कृति *Khabaron Me Bikaner*
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1 अक्टूबर 2025 बुधवार
Khabaron Me Bikaner
✒️@Mohan Thanvi
जैन धर्म ही ऐसा धर्म है जो जीने की कला के साथ मरने की भी कला सिखाता है
जैन धर्म ही ऐसा धर्म है जो जीने की कला के साथ मरने की भी कला सिखाता है
संथारा साधिका तारा देवी बैद की स्मृति सभा
गंगाशहर , 30 सितम्बर। संथारा साधिका तारा देवी बैद की स्मृति सभा में उद्बोधन देते हुए उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने कहा कि संसार में जैन धर्म ही ऐसा धर्म है जो जीने की कला के साथ मरने की भी कला सिखाता है। मृत्यु को महोत्सव मनाने की कला केवल जैन दर्शन में है। मुनि श्री ने कहा कि जीवन की उस अवस्था में जब शरीर की नश्वरता को समझकर स्वयं इच्छा से यह स्वीकार किया जाता है। संथारे में न जीन की कामना होती है न मरने की कामना होती है।
समभाव से इसका वरण किया जाता है। शरीर के बन्धन से मुक्ति पाने का चरम एवं परम उपाय है।संथारा मृत्यु की सर्वोत्तम कला है। इसका वरण करने से मृत्यु भी महोत्सव बन जाती है। मुनि श्री कमल कुमार जी ने कहा कि श्रीमती तारा देवी धार्मिक, उपरान्त कषायी, सेवाभावी तथा सादगी पूर्ण जीवन जीने वाली महिला थी। उन्होंने ने उच्च मनोबल से, समता -सहिष्णुता से संथारा की साधना परिसम्पन्न की। मुनि श्री ने उनकी आत्मा के मोक्ष गामी बनने की कामना करते हुए एक लोग्गस का ध्यान करवाया।
उन्होंने बताया कि गंगाशहर निवासी संथारा साधिका सुश्राविका श्रीमती तारादेवी धर्मपत्नी श्री विजय कुमार जी बैद (उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी स्वामी के संसार पक्षीय छोटे भाई की धर्मपत्नी) का अनशन कल दिनांक 29.9.2025 सोमवार प्रातः 3.38 बजे 54 दिन की संलेखना तपस्या और 23 दिन के तिविहार अनशन में सानंद संपन्न हो गया है ।
14 जुलाई, 2025 को तपस्या की शुरुआत की थी। 54 दिवस की तपस्या के बाद
दिनांक 6 सितम्बर, 2025 को उग्र विहारी तपोमूर्ति मुनि श्री कमल कुमार जी स्वामी ने सेवाकेन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी श्री विशदप्रज्ञा जी एवं साध्वी श्री लब्धियशा जी तथा श्रावक - श्राविकाओं की उपस्थिति में तिविहार संथारे का प्रत्याख्यान
करवाया था। कल 77 दिन के संथारा संलेखना में प्रात: ब्रहम मुहर्त में 3:38 बजे संथारा परिसम्पन्न हो गया था।
इस अवसर पर मुनि श्री श्रेयांस कुमार जी ने मुक्तकों के माध्यम से तारा देवी के संथारे की अनुमोदना की। मुनि श्री विमल विहारी जी ने भी संथारा साधिका तारा देवी के प्रति मंगल कामना की।
इस अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री महाश्रमण जी एवं साध्वी प्रमुखा श्री विश्रुतविभा जी के पावन संदेश प्राप्त हुए। संथारा साधिका तारा देवी के संथारे के उपलक्ष्य में देश भर से साधु -साध्वियों के मंगलकामनाओं के संदेश प्राप्त हुए।
इस अवसर पर जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा गंगाशहर से श्री पवन छाजेड़, तेरापंथ न्यास से जैन लूणकरण छाजेड़, तेयुप से मांगीलाल बोथरा,महिला मंडल से श्रीमती प्रेम बोथरा, टी. पी. एफ. से रतन छल्लाणी, अणुव्रत समिति से कन्हैया लाल बोथरा,नागरिक समिति से जतन लाल दूगड़ ,शान्ति प्रतिष्ठान से धर्मेन्द्र डाकलिया,ने अपने विचार व्यक्त किये। गायक मंण्डली ने गीतिका के द्वारा श्रद्धा सुमन अर्पित किये। तारा देवी बैद के परिवार से श्रीमती ललिता देवी बोथरा,श्रीमती कान्ता देवी नाहटा, पुत्री श्रीमती वर्षा बेताला, श्री नेमचन्द जी चोपड़ा ने तारा देवी के अनशन की अनुमोदना की तथा सभी का आभार व्यक्त किया।
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