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कवयित्री कृष्णा वर्मा के हिंदी राजस्थानी काव्य संग्रह का लोकार्पण - श्रीमती वर्मा की कविताएं प्रकृति, संस्कृति और समाज की अभिव्यक्ति




धर्म, साहित्य, खेलकूद और संस्कृति *Khabaron Me Bikaner*


*Khabaron Me Bikaner*
11 नवंबर 2025 मंगलवार

Khabaron Me Bikaner


✒️@Mohan Thanvi

कवयित्री कृष्णा वर्मा के हिंदी राजस्थानी काव्य संग्रह का लोकार्पण 
- श्रीमती वर्मा की कविताएं प्रकृति, संस्कृति और समाज की अभिव्यक्ति 

 

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कवयित्री कृष्णा वर्मा के हिंदी राजस्थानी काव्य संग्रह का लोकार्पण 
- श्रीमती वर्मा की कविताएं प्रकृति, संस्कृति और समाज की अभिव्यक्ति 

    बीकानेर 11 नवम्बर। शब्दरंग साहित्य एवं कला संस्थान, बीकानेर के तत्वावधान में होटल राजमहल में कवयित्री कृष्णा वर्मा के हिन्दी काव्य संग्रह "उड़ने को बेताब मन" एवं राजस्थानी कविता संग्रह " हिये रा रंग हजार" का लोकार्पण किया गया। कार्यक्रम में कृष्णा वर्मा ने पुस्तकों की चुनिंदा कविताएं प्रस्तुत करते हुए अपना रचनाकर्म साझा किया। कार्यक्रम में श्रीमती वर्मा का सम्मान किया गया।
     कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अर्थशास्त्री, व्यंग्यकार संपादक डॉ. अजय जोशी ने कहा कि श्रीमती कृष्णा वर्मा संवेदनशील रचनाकार है जिनकी कविताओं में प्रकृति, संस्कृति और समाज की अभिव्यक्ति है । उन्होंने कहा कि प्रेम काव्य का आधार होता है जो कवि मन को रचने को बाध्य करता है । कार्यक्रम के अध्यक्ष कवि-कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि श्रीमती वर्मा की कविताओं में नारी विमर्श और संवेदना है। उन्होंने कहा कि उनकी कविताओं में प्रेम और प्रकृति और जीवन के गहन अनुभव है। पुस्तक में सावन भादो पर ढेर सारी रचनाएं है । उन्होंने कहा कि कवियत्री के जीवन के 73 वर्ष के बाद दो पुस्तकों का प्रकाशन सराहनीय है। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ लघुकथाकार समीक्षक अशफाक कादरी ने कहा कि श्रीमती वर्मा की कविताएं समय से संवाद करती है। उन्होंने कहा कि अति आधुनिकता की दौड़ में खोए हुए लोकरंग को कवियत्री ने अपनी कविताओं में बखूबी बयान किया है। 
     कार्यक्रम संयोजक कवि-कथाकार राजाराम स्वर्णकार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि श्रीमती वर्मा सशक्त रचनाकार हैं जिनकी रचनाएं लंबे समय से पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रही है। कवि बाबूलाल छंगाणी ने लोकार्पित पुस्तक "उड़ने को बेताब मन" की काव्यात्मक समीक्षा प्रस्तुत कर नवाचार किया । समीक्षक डॉ नमामी शंकर आचार्य ने काव्यसंग्रह "हिये रा रंग हजार" की समीक्षा करते हुए कहा कि पुस्तक में राजस्थानी संस्कृति का सांगोपांग चित्रण है। उन्होंने कविता "आखातीज रो खिचड़ो" का पाठ करते हुए कहा कि पुस्तक में राजस्थान के प्रकृति चित्रण के साथ मानवीय रिश्तों को अभिव्यक्त किया है। 
     कार्यक्रम में श्रीमती कृष्णा वर्मा ने अपनी चुनिंदा कविताएं सुनाई। उन्होंने रचनाकर्म साझा करते हुए कहा कि सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, लोकजीवन से प्रेरित होकर रचनाओं का सृजन किया है। शब्दरंग संस्थान द्वारा श्रीमती वर्मा का सम्मान किया गया। कवि डॉ प्रकाशचंद्र वर्मा ने भी अपने विचार रखे। शायर डॉ नासिर जैदी ने धन्यवाद ज्ञापित किया। कवियत्री ज्योति वधवा रंजना ने सरस्वती वंदना प्रस्तुत की । कार्यक्रम संचालक वरिष्ठ साहित्यकार जुगल किशोर पुरोहित ने अतिथियों का परिचय दिया। 
     कार्यक्रम में प्रेरणा प्रतिष्ठान के अध्यक्ष प्रेमनारायण व्यास, वरिष्ठ रंगकर्मी बी एल नवीन, डॉ मोहम्मद फारुख, डॉ नरसिंह बिनानी, कृष्णलाल बिश्नोई, डॉ बसंती हर्ष, मधुरिमा सिंह, संगीता झा, डॉ अश्विनी कुमार वर्मा, श्रीमती अरुणा वर्मा , नरेश चंद्र वर्मा श्रीमती कमलेश वर्मा ,अरुणकांत वर्मा, बाबूलाल वर्मा, संयम वर्मा , डॉ विशाल सिंह वर्मा, डॉ रेशूसिंह गुप्ता साक्षी बने।
                               

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