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11 अक्टूबर 2025 शनिवार
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✒️@Mohan Thanvi
लक्ष्मीनारायण रंगा का विपुल साहित्य वर्तमान है इतिहास नहीं : डॉ. उमाकांत गुप्त
लक्ष्मीनारायण रंगा का विपुल साहित्य वर्तमान है इतिहास नहीं : डॉ. उमाकांत गुप्त
लक्ष्मीनारायण रंगा मानवीय संवेदना के कुशल चितेरे थे : बुलाकी शर्मा
बीकानेर, 11 अक्टूबर, 2025।
देश के ख्यातनाम साहित्यकार, रंगकर्मी, चिंतक एवं शिक्षाविदï् कीर्तिशेष लक्ष्मीनारायण रंगा की ९२वीं जयंती के अवसर पर आयोजित तीन दिवसीय ‘सृजन सौरम-हमारे बाऊजी’ समारोह का आगाज़ उनके व्यक्तित्व और कृत्तित्व-पुष्पांजलि के साथ उनकी प्रतिनिधि चर्चित कविताओं का भारतीय भाषाओं में अनुवाद वाचन के साथ हुआ।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ आलोचक एवं शिक्षाविदï् डॉ. उमाकांत गुप्त ने कहा कि लक्ष्मीनारायण रंगा प्रयोगधर्मी रचनाकार थे। उनका सम्पूर्ण सृजन एवं साहित्य जो कि १५० से अधिक विभिन्न साहित्यिक विधाओं के माध्यम से गंभीर दार्शनिक पृष्ठभूमि का है। आपका सृजन वर्तमान है, इतिहास नहीं।
डॉ. गुप्त ने आगे कहा कि देश में विपुल साहित्य सृजन करने वाले महान् साहित्यकारों में उनका नाम है, साथ ही इस श्रेणी के राजस्थान के वे एकमात्र रचनाकार है। इसलिए रंगा जी सृजन पथ के सक्रिय यात्री रहे।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि वरिष्ठ कहानीकार-व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि लक्ष्मीनारायण रंगा मानवीय संवेदना के कुशल चितेरे थे। बहुमुखी प्रतिभा के धनी रंगा न केवल साहित्यकार थे, अपितु रंगकर्मी, रंगनिर्देशक, नृत्तक, एवं संगीतज्ञ भी थे। आप राजस्थान में बाल रंगमंच आंदोलन के अग्रणी भी रहे। रंगा जी का साहित्य एवं प्रेरक व्यक्तित्व सदैव नई पीढ़ी का मार्गदर्शन करता रहेगा।
कार्यक्रम में अपने विचार रखते हुए वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने लक्ष्मीनारायण रंगा के विपुल, समग्र-साहित्य को समाज की सभी महत्वपूर्ण समस्याओं और स्थितियों के साथ मानवीय चरित्र और मानवीय संबंधों की सूक्ष्म जटिलता को व्यक्त करने वाला बताया।
कार्यक्रम में कीर्तिशेष रंगा जी की कविताओं का भारतीय भाषाओं में अनुवाद वाचन हुआ। जिसके तहत उर्दू में क़ासिम बीकानेरी एवं इसरार हसन कादरी, सिंधी में पीताम्बर सोनी, बंगाली में पूर्णिमा मित्रा, संस्कृत में श्रीमती इला पारीक, हरिनारायण आचार्य, राजस्थानी में जुगल किशोर पुरोहित, हिन्दी में विप्लव व्यास, अंग्रेजी में पुनीत कुमार रंगा एवं विजय गोपाल पुरोहित ने अनुवाद एवं वाचन कर श्रोताओं को मंत्र-मुग्ध कर दिया। रंगा जी की कविताओं के भारतीय भाषाओं में अनुवाद के बारे में अतिथियों ने कहा कि इस माध्यम से रंगा जी की कविताएं अन्य भाषाओं के पाठकों तक पहुंचेगी।
प्रारम्भ में सभी का स्वागत करते हुए वरिष्ठ शिक्षाविदï् राजेश रंगा ने समारोह के महत्व को रेखांकित करते हुए लक्ष्मीनारायण रंगा से जुड़े कुछ संस्मरण साझा किए।
कार्यक्रम में नगर के विभिन्न कलानुशासनों से जुड़े गणमान्यों यथा हरिदास हर्ष, जाकिर अदीब, बी.एल. नवीन, राजेन्द्र जोशी, प्रमोद शर्मा, गिरिराज पारीक, अविनाश व्यास, दामोदर तंवर, गोविंद जोशी, गोपाल कुमार व्यास कुंठित, महेन्द्र जोशी, नवनीत व्यास, कृष्ण चन्द्र पुरोहित, आनन्द छंगाणी, कैलाश टाक, भवानी सिंह, अशोक शर्मा, बाबूलाल छंगाणी ‘बमचकरी’, डॉ. फारूक चौहान, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, राहुल आचार्य, अरूण व्यास, आशीष रंगा, तोलाराम सारण, घनश्याम ओझा, अख्तर अली, कन्हैयालाल, शिव पंवार, चम्पालाल गहलोत, भैरूरतन रंगा सहित सभी ने लक्ष्मीनारायण रंगा के तेल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित करते हुए उन्हें साहित्य का महान् साधक बताते हुए नमन किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ कवि बाबूलाल छंगाणी ‘बमचकरी’ ने किया। वहीं सभी का आभार वरिष्ठ इतिहासविदï् डॉ. फारूक चौहान ने ज्ञापित किया।
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