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विस्मृति में रहना और संथारा करवाना सार्थक नहीं होता, तारादेवी बैद का संथारा संलेखना मेरे जीवन का प्रथम है - मुनि श्री कमल कुमार

 

धर्म और संस्कृति
*Khabaron Me Bikaner*

 


विस्मृति में रहना और संथारा करवाना सार्थक नहीं होता, तारादेवी बैद का संथारा संलेखना मेरे जीवन का प्रथम है - मुनि श्री कमल कुमार


गंगाशहर 27 सितम्बर 2025। संथारा साधिका तारादेवी बैद को सुबह सुबह दर्शन देने। पधारे उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनिश्री कमलकुमार जी व मुनिश्री श्रेयांस कुमार जी। ज्योंही मुनिश्री का पधारना हुआ तारादेवी ने विनयभाव से वंदना करते हुए सुखसाता पूछी। उस समय तारादेवी के पति विजय कुमार पुत्रियां वर्षा, चारू, भाई विनोद चैपड़ा, ललिता चैपड़ा, मासी पुष्पा देवी बाफना, मामा राजू जी चैपड़ा, भानजी ललिता बोथरा, जेठानी सुन्दर देवी बैद, जंवाई कमलजी भंसाली के अलावा अनेक भाई बहिन उपस्थित थे विजय ने कहा आज स्मृति में फर्क लग रहा है इतना सुनते ही मुनिश्री ने कई प्रश्न पूछा अरहंतों के अक्षर कितने हैं उत्तर दिया सात, दूसरा प्रश्न पूछा सिद्धों के अक्षर कितने उत्तर मिला पांच प्रश्न तीसरा आसोज सुदि में कौन सा पर्व आता है उत्तर मिला नवरात्रि, प्रश्न चौथा महिने में कितनी पक्खियां आती है उत्तर मिला दो अंतिम प्रश्न पूछा माज तपस्या संथारे का कौन सा दिन है 76। सारे प्रश्नों का सटीक उत्तर सुनकर सब ओम् अर्हम् ओम अर्हम् करने लगे मुनिश्री ने फरमाया कि विस्मृति में रहना और संथारा करवाना सार्थक नहीं होता। तारादेवी दोनों समय प्रतिक्रमण दिनभर अपनी माला एवं आचार्य श्री महाश्रमण जी द्वारा निर्दिष्ट 24 लोगस्स का पाठ निरंतर करती है। तारादेवी के पास आने वालों का तांता लगा रहता है फिर भी आने ने वाले परिचित परि लोगों की जिज्ञासा का समाधान देकर उनको पूर्ण संतुष्ट कर देती है। मुनिश्री कमलकुमार जी ने फरमाया कि यह संथारा वास्तव में एक आदर्श संथारा है इन्होंने आग्रह करके संथारा पचखा और 76 दिन होते हुए भी इनकी एकाग्रता, सहिष्णुता, समता, कर्तव्यपरायणता, विनम्रता सबके लिए प्रेरणा बनती जा रही है। मैंने मेरे जीवन में अनेक संधारे करवाये परंतु इतना लंबा संथारा संलेखना प्रथम कह सकता हूँ तारादेवी की आत्मा उत्तरोत्तर निर्मलतर निर्मलतम बनती रहे, मुनि श्रेयांस कुमार जी ने गीत सुनाकर आध्यात्मिक प्रेरणा दी मुनि नमि कुमार जी ने भी तपस्विनी से संथारासाधिका के दृढ़ मनोबल की प्रसंसा की। सेवा केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वीश्री विशद प्रज्ञाजी साध्वीश्री लब्धियशाजी के साथ अनेक साधु साध्वियां तारादेवी को दर्शन सेवा मंगलपाठ के द्वारा प्रोत्साहित करते हैं। संतोषदेवी शाममुखा ने 11 दिन की तपात्या का प्रत्याख्यान किया मुनिश्री ने उनके उत्साहवर्धन के लिए कविता का संगान किया। संथारासाधिका तारादेवी के नानोसा महाराज शासन श्री मुनि श्री गणेशमलजी स्वामी ननंद महाराज शासन श्री साध्वीश्री सोमलता जी सासूजी कल्याण मित्र श्रद्धा की प्रतिमूर्ति केशरदेवी ने भी संथारा पूर्वक विदाई ली। उसी का ही यह सुफल है कि तारादेवी भी संथारे के पथ पर निरंतर गतिमान है। गायकों के मधुर और वैराग्यवर्धक गीत सबके लिए आकर्षण के केन्द्र बने हुए है

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